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Showing posts from May, 2022

टूटा हुआ दिल

आज मैं जब बस में चढ़ी सारी बस खाली -खाली लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि गर्मी के कारण लोगों ने दोपहर में सफ़र करना बंद कर दिया है। खैर! मुझे तो दोपहर में ही सफ़र करना पड़ता है क्योंकि स्कूल की छुट्टी दोपहर के समय ही होती है। बहरहाल आज मुझे खिड़की की सीट आसानी से मिल गई वरना गढ़ मुक्तेश्वर के पास यात्री ढाबे पर बस से कोई उतरता था तब जाकर खिड़की वाली सीट मिलती थी।भरी गर्मी में रोडवेज बस में गर्म लू के थपेड़ो के साथ वो हवा भी सुकून देती थी क्योंकि सप्ताहांत में घर जाने को मिलता था और परिवार से मिलने का जोश भी मन में भरा रहता था। बहुत से लोग उस समय खिड़की बंद कर लेते थे लेकिन मुझे उस हवा के साथ बहना अच्छा लगता था।               मैं अपना सामान व्यवस्थित करके बैठ गई और सोने की तैयारी में ही थी क्योंकि उस दिन मैं थोड़ी थकान महसूस कर रही थी।तभी एक लड़का मेरी सीट से पीछे वाली सीट पर आकर बैठ गया। मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था । बस चल पड़ी , दोपहर में सड़कें भी खाली-सी थीं इसलिए बस सही रफ्तार से चल रही थी। लगभग आधा घंटे बाद मेरे पीछे वाली सीट पर बैठा हुआ लड़का ...

परिचय

नमस्कार दोस्तों,मेरा ब्लॉग सफ़र के साथी उन सब लोगों के बारे में है जो मुझे मेरे सफ़र में मिले,या यूं कहें कि जिनसे मैं मिली। सच में देखा जाये तो जीवन एक यात्रा है लेकिन मैं यहां उस सफ़र की बात कर रही हूं जो मैं लगभग रोज तय करती हूं अपने शहर से दूसरे शहर तक। मैं एक कामकाजी महिला हूं जिसे लगभग रोज कुछ दूरी तय करनी होती है अपने कार्य स्थल तक पहुंचने के लिए और इसी दूरी में मुझे जो लोग मिलते हैं उन्हीं के कुछ किस्से आपके साथ बाटूंगी।                      मैं बस में अपनी सीट पर बैठी थी और बगल वाली सीट पर आने वाले के बारे में सोच रही थी क्योंकि सहयात्री पर आपकी यात्रा बहुत हद तक निर्भर करती है विशेष तया जब आप अकेले यात्रा कर रहे हैं।एसी बस होने के कारण मेरा लगभग पांच घंटे का सफ़र मुझे ज्यादा मुश्किल नहीं लग रहा था। तभी एक सत्रह -अठरह वर्षीय लड़की एक बड़े सूटकेस ,एक बैग के साथ बस में चढ़ती है,सीट नंबर कन्फर्म करके मेरे बगल वाली सीट पर बैठ जाती है। उसकी आंखों में चमक थी , उत्साह से परिपूर्ण,खुले आसमान में उड़ने को तैयार , चेहरे पर मासूमियत स...